Thursday, May 10, 2018

World Environment Day 5th june विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस 2017 थीम विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस विश्व पर्यावरण दिवस पर कविता विश्व पर्यावरण दिवस पर भाषण विश्व पर्यावरण दिवस 2016 थीम विश्व पर्यावरण दिवस फोटो भारतीय पर्यावरण दिवस विश्व पर्यावरण दिवस 2018 थीम

World Environment Day 5th june विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 

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World Environment Day 5th june विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून

विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की थी। इसे 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था। 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया।

वर्ष 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानव पर्यावरण विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का आयोजन किया गया था। इसी चर्चा के दौरान विश्व पर्यावरण दिवस का सुझाव भी दिया गया और इसके दो साल बाद, 5 जून 1974 से इसे मनाना भी शुरू कर दिया गया। 1987 में इसके केंद्र को बदलते रहने का सुझाव सामने आया और उसके बाद से ही इसके आयोजन के लिए अलग अलग देशों को चुना जाता है।
इसमें हर साल 143 से अधिक देश हिस्सा लेते हैं और इसमें कई सरकारी, सामाजिक और व्यावसायिक लोग पर्यावरण की सुरक्षा, समस्या आदि विषय पर बात करते हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने के लिए कवि अभय कुमार ने धरती पर एक गान लिखा था, जिसे 2013 में नई दिल्ली में पर्यावरण दिवस के दिन भारतीय सांस्कृतिक परिषद में आयोजित एक समारोह में भारत के तत्कालीन केंद्रीय मंत्रियों, कपिल सिब्बल और शशि थरूर ने इस गाने को पेश किया।

विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास

सन 1972 अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण राजनीति का महत्त्वपूर्ण साल था क्योंकि इस साल 5 जून से 16 जून तक यूनाइटेड नेशंस के तत्वाधान में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में एनवायर्नमेंटल इश्यूज को लेकर पहली मेजर कांफ्रेंस की गयी। इस कांफेरेंसे को –
  • “कांफेरेंसे ऑन ह्यूमन एनवायरनमेंट” या
  • “स्टॉकहोम कांफेरेंसे” के नाम से भी जाना जाता है।
इस कांफेरेंसे का लक्ष्य मानव परिवेश को बचाने और बढ़ाने की चुनौती को हल करने के तरीके के बारे में एक बुनियादी आम धारणा तैयार करना था।
इसके बाद इसी साल 15 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) ने एक प्रस्ताव पारित किया और प्रति वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।तभी से प्रति वर्ष यह दिवस 100 से अधिक देशों में मनाया जाने लगा।
आधिकारिक तौर पर विश्व पर्यावरण दिवस पहली बार 5 जून 1974 को मनाया गया और तब इसकी थीम थी – “Only One Earth”

इस लेख को सिर्फ अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए नहीं पृथ्वी को और खुद को बचाने के नज़रिए से पढ़ें….

आज धरती माँ रो रही है क्योंकि-

  • मनुष्यों की वजह से आज जीव-जंतुओं के विलुप्त होने की दर जितना होनी चाहिए थी उससे 1000 गुना अधिक है।
वैज्ञानिक कहते हैं कि –
20,000 से अधिक जीव-जंतु हमेशा के लिए विलुप्त होने की कगार पर हैं।
अगर आप 90s के पहले की generation हैं तो शायद आपको याद होगा कि जब हम छोटे थे तो हमारे घरों के आस-पास ढेरों गौरैया चहचहाया करती थीं…हम उन्हें पकड़ के रंगते भी थे…और जब माँ छत पर गेंहू सुखाती थी तो भी गेंहू के आस-पास मंडराया करती थीं…
इसी तरह शहर के मछली बाजारों के पास ढेरों गिद्ध मंडराया करते थे…कहाँ गए ये सब…हमने मोबाइल टावर के रेडिएशन, इंसेक्टिसाइड, पेस्टिसाइड के इस्तेमाल, अंधाधुंध शिकार, प्रदुषण और ऐसी ही अन्य चीजों से इन्हें ख़त्म कर दिया….
और इनकी क्या बात करें…अगर Save Tiger प्रोजेक्ट ना होता तो शायद आज भारत को कोई दूसरा National Animal खोजना पड़ता!
  • पूरे विश्व में हर साल करीब 55 लाख लोग दूषित हवा की वजह से मर जाते हैं, जो कुल मौतों का लगभग 10% है।
  • अकेले भारत में हर साल 12 लाख लोग ज़हरीली हवा के कारण मर जाते हैं, जिससे देश को 38अरब डॉलर का नुक्सान होता है। शायद आपको जानकार आश्चर्य हो भारत के 11 शहर दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हैं।
  • बेहिसाब पानी की बर्बादी के कारण भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है।
मैं गोरखपुर से हूँ और इस जैसा तराई इलाका भी इससे नहीं बचा है। लोगों को अपनी बोरिंग बढ़वानी पड़ रही है…कुछ इलाकों में गर्मी के मौसम में भूजल स्तर इतना नीचे चला जाता है कि पानी के लिए वाटर-टैंक्स पर निर्भर करना पड़ता है।
  • लगातार बढ़ते प्रदुषण से समुद्र भी नहीं बचे हैं…हम पर्यावरण में इतनी अधिक कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ रहे हैं कि समुद्र तक का पानी एसिडिक होता जा रहा है, हमने अपने घर बनाने के लिए इतने जंगल काट दिए हैं कि आज biodiversity बड़े खतरे में पड़ गयी है।
  • Fertilizer के बेहिसाब इस्तेमाल ने खेतों को इतना ज़हरीला बना दिया है कि उनमे उगने वाली सब्जियां खाने से फायदे कम और नुक्सान ज्यादा हो रहे हैं।
    • Global warming अब सिर्फ बड़ी-बड़ी conferences का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि हम उसे खुद महसूस करने लगे हैं।
    • करोड़ों सालों से जमे ग्लेशियर्स आज जितनी तेजी से पिघल रहे हैं उतनी तेजी से कभी नही पिघले थे।
    दोस्तों, ऐसी बातों की लिस्ट इतनी लम्बी है कि सभी को यहाँ व्यक्त नहीं किया जा सकता। बस इतना समझ लीजिये कि अगर हमने पर्यावरण को बचाने के लिए अभी से प्रयास नहीं शुरू किये तो शायद बाद में हमें इसका मौका भी ना मिले और आगे आने वाली पीढियां हमे इस गलती के लिए कभी माफ़ न करें!

विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकृति को समर्पित दुनियाभर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है। पर्यावरण और जीवन का अटूट संबंध है फिर भी हमें अलग से यह दिवस मनाकर पर्यावरण के संरक्षण, संवर्धन और विकास का संकल्प लेने की आवश्यकता है। यह बात चिंताजनक ही नहीं, शर्मनाक भी है। 

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्टॉकहोम (स्वीडन) में विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। इसमें 119 देशों ने भाग लिया और पहली बार एक ही पृथ्वी का सिद्धांत मान्य किया। 

इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का जन्म हुआ तथा प्रति वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस आयोजित करके नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया। तथा इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागृत करना और आम जनता को प्रेरित करना था। 

उक्त गोष्ठी में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 'पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति एवं उसका विश्व के भविष्य पर प्रभाव' विषय पर व्याख्यान दिया था। पर्यावरण-सुरक्षा की दिशा में यह भारत का प्रारंभिक कदम था। तभी से हम प्रति वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते आ रहे हैं।
 World Environment Day 5th june विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 19 नवंबर 1986 से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ। उसके जल, वायु, भूमि - इन तीनों से संबंधित कारक तथा मानव, पौधों, सूक्ष्म जीव, अन्य जीवित पदार्थ आदि पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं।
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